2023 ग्रेच्युटी के नए नियमों के बारे में सब कुछ

एक कर्मचारी काम और कंपनी के प्रति अपने योगदान के बदले में ग्रेच्युटी प्राप्त करता है।

किसी कंपनी में एक तय समय तक काम करने के बाद, एक कर्मचारी नियोक्ता से ग्रेच्युटी के रूप में अपने वफादारी और समर्पण के लिए भुगतान की उम्मीद कर सकता है। ग्रेच्युटी कम से कम 5 वर्षों तक कंपनी के साथ काम करने के प्रयासों और समर्पण को सम्मानित करने के लिए, नियोक्ता का एक तरीका होता है।

भारत में ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972, ग्रेच्युटी के भुगतान को सुचारू रूप से चलाने के लिए बनाया गया। इस अधिनियम के तहत, नियोक्ता उन सभी कर्मचारियों को एक राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है, जिन्होंने 5 वर्षों के बराबर या उससे अधिक काम किया है।

आमतौर पर ग्रेच्यूटी को सामान्यत: वेतन का एक हिस्सा माना जाता है और यह कर्मचारियों की बेहतरी के लिए सेवामुक्त होने के पश्चात् मिलने वाली योजना में शामिल है।

ग्रेच्युटी क्या है?

ग्रेचूयिटी कम्पनी या संगठन में 5 या उससे अधिक साल तक काम करने के बदले में कर्मचारी को दिया जाने वाला आभार का प्रतीक होता है। यह धनराशि या मौद्रिक लाभ कर्मचारी को कंपनी में काम करने और अपना समय देने के लिए नियोक्ता द्वारा प्रदान किया जाता है।

1972 के ग्रेचूयिटी भुगतान अधिनियम के अनुसार अनुच्छेद 4 में यह उल्लिखित है कि ग्रेचूयिटी केवल उन कर्मचारियों को ही दी जाती है जो अधिनियम के अनुच्छेद 2(ई) के परिभाषा के अनुसार कर्मचारी हैं। वर्तमान कर नियमों के अनुसार, ग्रेच्युटी के करों का निर्धारण केवल इस बात पर निर्भर करता है कि अधिनियम कर्मचारी को कवर करता है या नहीं। यदि ग्रेच्युटी राशि सरकार द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा को पार नही करती है, तो ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के तहत आने वाले सभी कर्मचारियों को कर का भुगतान करने से मुक्त कर दिया जाता है। इस सीमा से ऊपर प्राप्त हर राशि कर योग्य होती है। अधिनियम के अंतर्गत नहीं आने वाले कर्मचारियों के लिए छूट सीमा कम होती है।

कंपनियों को ग्रेच्युटी का भुगतान करना क्यों अनिवार्य है?

कंपनियों को ग्रेचुइटी भुगतान अधिनियम 1972 के तहत ग्रेचुइटी देना अनिवार्य है क्योंकि यह कर्मचारियों के पेंशन के बाद काफी जरूरी और फायदेमंद होता है। सभी केंद्रीय और राज्य सरकारी एजेंसियों और विभागों, समरक्षा और स्थानीय प्रशासन निगम समेत सभी क्षेत्रों को इस एक्ट के छत्रछाया में शामिल किया गया है।

निजी एजेंसियों को इस एक्ट के दायरे में लाने के लिए कुछ शर्तों का पूरा होना आवश्यक है।

क्या हैं नए ग्रेच्युटी नियम?

  1. ग्रेच्युटी की राशि को चुकाना अनिवार्य होता है अगर कंपनी में पिछले 12 महीनों में दस या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। चाहे कर्मचारी की संख्या कम क्यों न हो जाए, नियोक्ता को बचे हुए कर्मचारियों को ग्रेच्युटी देनी होती है।
  2. कर्मचारी को कंपनी में 5 साल की सेवा पूरी करनी होती है (कर्मचारी के विकलांग होने या निधन के मामले को छोड़कर)।
  3. ग्रेच्युटी की गणना आखिरी वेतन और सेवा के वर्षों के आधार पर की जाती है।
  4. कर्मचारी की मृत्यु पर नामांकित व्यक्ति को ग्रेच्युटी प्राप्त होती है।
  5. यदि कर्मचारी को किसी दुखद परिस्थिति, बीमारी या दुर्घटना के कारण कोई विकलांगता हो जाती है तो उसे ग्रेच्युटी का हक होता है।
  6. कर्मचारी ग्रेच्यूटी प्राप्त कर सकता है अगर उसने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के लिए आवेदन किया है।

हालांकि, बर्खास्ती या दुराचार के मामले में ग्रेच्युटी की कोई पेशकश नहीं की जाती है।

नए ग्रेच्युटी नियम 2023

नए ग्रेच्युटी भुगतान नियम 2023 को अंतिम रूप देके लागु करते हुए मानवसंसाधन और रोजगार मंत्रालय ने चार श्रम संहिता के तहत विभिन्न परिवर्तन किए हैं। इन परिवर्तनों के कारण सभी संगठन अपने कर्मचारियों के वेतन संरचना और अन्य भत्तों पर फिर से विचार करने को मजबूर हैं।

नए नियमों के तहत कर्मचारियों की मूल भुगतान नीति में बदलाव की आवश्यकता है, क्योंकि अब संगठनों को कर्मचारियों के वेतन का 50% मूल वेतन के रूप में देना होगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, जिन कंपनियों में कर्मचारियों का मूल वेतन , उनके वेतन से 50% कम है, उन कंपनियों को नए कानूनों का पालन करने के लिए अपने वेतन को फिर से संरचित करने की आवश्यकता होगी। हालाँकि, वेतन वृद्धि में बोनस या विभिन्न भत्ते शामिल नहीं होने चाहिए। इसके साथ ही, मूल वेतन में बढ़ोतरी से स्वत: ही एक अधिक ग्रेच्युटी हो जाती है।

कर्मचारियों को क्या फायदा होगा?

विशेषज्ञों के अनुसार, नया व्यावसायिक कानून कर्मचारियों के वेतन संरचना में परिवर्तन लायेगा। ग्रेच्युटी नियम में किए गए बदलाव कर्मचारियों के लिए एक लाभकारी योजना है।

नए नियमों से कर्मचारियों के मूल वेतन में इन-हैंड मनी के रूप में बढ़ोतरी होगी। यहाँ तक कि अनुभागी वेतन में शामिल किए जाने वाले अन्य लाभों को कम किया जा सकता है, लेकिन ये लाभ कर्मचारी की प्राथमिक आवश्यकता नहीं थे, बल्कि अतिरिक्त लाभ थे।

ग्रेच्युटी कैलकुलेटर क्या है?

ग्रेच्युटी कैलकुलेटर एक ऐसा टूल है जो किसी व्यक्ति को कम से कम पांच साल की सेवा के बाद या सेवामुक्त होने के पश्चात प्राप्त होने वाली ग्रेच्युटी राशि का अनुमानित आंकड़ा बताता है। यह कर्मचारियों के पेंशन के बाद के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए वित्तीय नियोजन में मदद करता है। ग्रेच्यूटी की गणना ग्रेच्यूटी अधिनियम 1972 के तहत निम्नलिखित रूप से किया जा सकता है:

अधिनियम के अंतर्गत आने वाले लोगों के लिए,

ग्रेच्युटी = n*b*15 / 26

यहाँ, n = कंपनी में बिताये गए वर्ष

बी = अंतिम मूल वेतन+ महंगाई भत्ता(DA)

अधिनियम के अंतर्गत नहीं आने वाले लोगों के लिए,

ग्रेच्युटी= ग्रेच्युटी (जी) = n*b*(15/30)

यहाँ, n = कंपनी में बिताए गए वर्ष,

बी = अंतिम मूल वेतन + महंगाई भत्ता (DA)

ये सभी सूत्र किसी व्यक्ति की मृत्यु की मामले में और सेवा की अवधि के आधार पर वेतन के गुणक में बदल जाते हैं।

निष्कर्ष

2023 में प्रस्तुत किए गए नए ग्रेच्युटी नियमों ने ग्रेच्युटी में कई बदलाव किए हैं। कर्मचारियों के मूल वेतन में बढ़ोतरी होगी ।

ग्रेच्युटी नियोक्ता द्वारा कंपनी में कम से कम 5 वर्ष तक करने के बाद कर्मचारी को दिए जाने वाली राशि है। यह कर्मचारी के लिए एक पेंशन की योजना है, इसलिए कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों को इन कानूनों के साथ संबंधित जानकारी होना अनिवार्य है, चाहे वो सरकारी क्षेत्र में हो या निजी क्षेत्र में।

ग्रेच्युटी का दावा करने वाले कर्मचारियों को अपडेट रहने के लिए सरकारी वेबसाइटों पर उपलब्ध नियमों को पढ़ना चाहिए।

पूछे जाने वाले प्रश्न

भारत में ग्रेच्युटी के लिए पात्रता मानदंड क्या हैं?

ग्रेच्युटी के लिए पात्रता मानदंड में शामिल हैं:

  • कर्मचारी किसी और जगह पूर्णकालिक कर्मचारी के रूप में कार्यरत नहीं होना चाहिए
  • कर्मचारी को वेतन पर होना चाहिए
  • कर्मचारी को 5 साल तक काम करने के बाद सेवानिवृत्त होना होगा या इस्तीफा देना होगा

क्या कोई संस्था ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इंकार कर सकती है?

जो कर्मचारी ग्रेच्यूटी प्राप्त करने के पात्र हैं, उन्हें सेवा के योग्य प्रक्रिया के अंतर्गत अस्वीकार किया जा सकता है अगर:

  • कर्मचारी ने नियोक्ता की संपत्ति को नष्ट किया है
  • कर्मचारी हिंसक या अनियमित है या उसने कोई नैतिक दूषण से संबंधित अपराध किया है

क्या भारत में ग्रेच्युटी अनिवार्य है?

हाँ, भारत में कुछ श्रेणियों के कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी अनिवार्य है। 1972 का ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 10 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले संगठनों पर लागू होता है, और यह कारखानों, खदानों, तेल खनन क्षेत्रों, बागानों, बंदरगाहों, रेलवे और सरकार द्वारा निर्धारित कुछ अन्य संगठनों के कर्मचारियों को शामिल करता है।

ग्रेच्युटी कैलकुलेटर क्या है?

ग्रेच्युटी की गणना एक निश्चित फॉर्मूले का उपयोग करके की जाती है।